| 1. | (सामाजिक अस्मिता और हिंदी-उर्दू का सवाल; वही; पृ.40-41)।
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| 2. | यह है-सामाजिक अस्मिता से संास्कृतिक अस्मिता का सफर।
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| 3. | मान लेना सामाजिक अस्मिता का फंडामेंटलिज्म है, और हर फंडामेंटलिज्म की तरह
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| 4. | इनमें ज्यादातर वे लोग शामिल हैं जो लोग सामाजिक अस्मिता से वंचित हैं।
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| 5. | उस के मन, देह और सामाजिक अस्मिता के स्तर तक करता है.
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| 6. | सामाजिक अस्मिता से सांस्कृतिक अस्मिता की यात्रा तो निश्चित रूप से निरापद नहीं होती।
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| 7. | कर्मफल का सिद्धान्त स्त्री और दलित की अनुभूति और सामाजिक अस्मिता को स्वीकार नहीं करता।
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| 8. | कर्मफल का सिध्दान्त स्त्री और दलित की अनुभूति और सामाजिक अस्मिता को स्वीकार नहीं करता।
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| 9. | (सामाजिक अस्मिता और हिंदी-उर्दू का सवाल ; वही ; पृ.40-41).
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| 10. | यद्यपि यह कहना बहुत आसान नहीं है कि सामाजिक अस्मिता के सवाल ने यह दबाव बनाया है।
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